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भीख ………!

kranti
kranti
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माँ मैं कितनी प्यारी हूँ |
लोग यही कहते हैं न !
लेकिन मुझे पता है ….!
की तू भी मुझसे प्यार नहीं करती !
ये आँचल मुझे हमेशा आपकी याद दिलाती हे |
आपके प्यारे अहसास को ,
उस ममता की,
जिसके तले मैंने अपनी आंखे खोली |
जहाँ से मैंने इस दुनियां को निहारा |
मेरी भी तमन्ना है ,
आसमान को समेटने की ,
इसी नन्हे आँचल में |
लेकिन क्या …..?
ये तमन्ना पूरी हो पायेगी |
इस पुरुष प्रधान देश में ,
जहाँ लडकियों को गर्भ में ही मार दिया जाता हैं !
क्या मैं भी ….? आपकी तरह
किसी को आँचल दे पाउँगा |
ताकि ये पर्था जीवंत रहे |
लेकिन तब , जब मैं भी ,
खुल कर जी सकूँगा |
लेकिन तब , जब मैं भी उन्मुक्त होकर
अपने पंख पसार सकूँगा |
लेकिन ये तभी संभव हैं ,
जब मुझे आज़ाद पंछी की तरह
हर जगह फुदकने का मौका मिले
नहीं तो मेरी कोरी कल्पना,
बस धरी की धरी रह जाएँगी ,
तब मेरी ये आँचल सिमट कर रह जाएँगी |
माँ मुझे इतना बता दे क्या तू मुझे सचमुच प्यार नहीं करती ?
शायद………..!
तू भी नहीं चाहती की मैं इस दुनिया में आऊं….|
अगर चाहती हैं तो जन्म देने में हिचकती क्यों हैं ….?
और अगर जन्म दे भी दे तो …….!
मेरे पर काट कर मुझे पंखहीन क्यों बना देती है ?
तू मुझे उड़ने क्यों नहीं देती |
क्या तू डरती हे
कही ये डर तो नहीं की मैं तुम्हारे बेटे से ज्यादा आगे न बढ़ जाऊं |
मुझे मौका दो माँ…..|
फिर देख कौन तुझे कितना प्यार करता हैं ?
बस अब मैं क्या कहू…!
बाकि आप भी तो एक लड़की थी फिर मेरे साथ ऐसा अन्याय क्यों ?????
मुझे आपकी दौलत नहीं , आपका स्नेह ,आपकी ममता चाहिए |
और कुछ नहीं चाहिए
मेरी आँचल में बस यही भीख समझ कर दाल दो ?
मुझे यही चाहिए……………..?????
आपकी प्यारी बिटिया……………………………!!!!!!!

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